आखिर फैक्ट्री में मार्बल कैसे बनाया जाता है


क्या आप जानते हैं कि आखिर मार्बल कैसे बनता है और आखिर मार्बल की माइनिंग कैसे की जाती है और आखिर मार्बल को बनाने के लिए इनको कौन-कौन से प्रक्रिया से गुजर जाता है तो चलिए जानते हैं मार्बल बनने के शुरू से लेकर अंत तक के सफर के बारे में।

मार्बल की माइनिंग:



सबसे पहले आप यह समझ की मार्बल जमीन के ऊपर नहीं बल्कि जमीन के बहुत नीचे पाया जाता है इसीलिए उसे जमीन से निकलने के लिए जमीन में गहरी खुदाई करनी पड़ती है खुदाई करने के बाद उसे जगह को कई सारे लेयर्स में बदल जाता है हर लेयर की अपनी हाइट होती है जो 8 मी या उससे ज्यादा की हो सकती है सबसे पहले शुरुआत होती है ड्रिलिंग से वैगन रेल की मदद से मार्बल के बड़े-बड़े ब्लॉक को काटा जाता है जब मार्बल के ब्लॉक बन जाते हैं तो इसके बाद बारी आती है डिटैचमेंट फेस की इसमें एक्स फैक्टर मशीन की मदद से इस पूरे प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। आपको बता दे की मार्बल के ब्लॉक 8 मीटर लंबे होते इसी के साथ ही साथ यह करीब 6 मीटर तक चौड़ी भी होते है। और एक मार्बल ब्लॉक का वजन करीब 280 टन तक होता है। जिस वजह से इन्हें अलग करना काफी मुश्किल होता है।

मार्बल का शेप:



 वैसे ज्यादातर खदानों में इन ब्लॉक को वर्टिकल शेप में काटा जाता है हालांकि कुछ खदानों में हॉरिजॉन्टल भी कट कर लिया जाता है मार्बल्स को ब्लॉक में कट करने के बाद वह दो बिल लोडर एक ब्लॉक को सिलेक्शन सेंटर में लेकर जाते है। इस केंद्र में मार्बल ब्लॉक को टेंपरेरी स्टोर किया जाता है जिसके बाद उनके लोडिंग होनी होती है।इस केंद्र में मार्बल ब्लॉक को टेंपरेरी स्टोर किया जाता है जिसके बाद उनकी लोडिंग होनी होती है जो कि ब्लॉक भारी वेट और बड़े साइज के होते इस वजह से ब्लॉग्स को बड़ी गैर के साथ हैंडल और एक जगह से दूसरी जगह मुंह किया जाता है क्योंकि इस सिचुएशन में एक्सीडेंट होने की संभावना बनी रहती है एक्सीडेंट की संभावनाओं से बचते हुए इन ब्लॉग्स को बड़े-बड़े ट्रक्स की मदद से फैक्ट्रीज में लाया जाता है जान शुरू होती है।

मार्बल बनने का प्रोसेस:



 फैक्ट्री प्रोसेसिंग शुरू होने से पहले तक इन ब्लॉक को फैक्ट्री में एक खुली जगह पर रखा जाता है और जब बारी आती है इन ब्लॉग्स को मशीनों के ऊपर रखा जाता है इन मशीनों में काफी बड़े-बड़े ब्लेड लगे होते जो पत्थर को कई पतली पतली शेप में काटने का काम करते ऐसा करने के बाद मशीन बड़े से बड़े मार्बल ब्लॉक को भी लेयर्स में कन्वर्ट कर देती है। और आपको बता दे कि इन्हें काटने के लिए डायमंड का इस्तेमाल किया जाता है।आपने कहीं बार यह तो जरुर सुना होगा कि हीरा दुनिया का सबसे कठोर पदार्थ इसीलिए मार्बल जैसे पत्थर को काटने के लिए मशीनों के ब्लड पर हीरे लगाए जाते मशीन में एक ब्लॉक को काटने में करीब 10 से 12 घंटे तक का वक्त लगता है तब जाकर पत्थर से मार्बल के पतले पतले पीस निकलते जिसके बाद इन्हें परफेक्ट शेप दी जाती है इसके लिए मार्बल लेयर की साइड से कटिंग भी की जाती है ।

मार्बल की पॉलिशिंग:



अब बारी आती है मार्बल की पॉलिशिंग की जो की बचने के लिए सबसे जरूरी प्रक्रिया होता है क्योंकि इससे मार्बल की चमक और बढ़ जाती है और फिर पॉलिशिंग के बाद बारी आती है एसिड वॉश दरअसल भारी बर्तन मशीनों से गुजरने की वजह से मार्बल की चमक कम हो जाती है कई बार तो मार्बल के लेयर्स में येलो शेड आ जाता है जिसे बाद में दूर किया जाता है इसी एसिड वॉश से प्रक्रिया में उसे किया जाता है वह काफी डाइलेटेड होता है ।


जिसके लिए उसमें पानी मिलाया जाता है ताकि एसिड मार्बल को किसी तरह का नुकसान न पहुंच बस अलग-अलग पॉलिशिंग होने की वजह से इन्हें अलग-अलग कलर दिया जाता है और इन कलर्स की वजह से ही कुछ मार्बल ज्यादा महंगे तो कुछ सस्ते बिकते मार्बल में जो अलग-अलग डिजाइनिंग बनी हुई होती है वह डिजाइनिंग देने का काम अलग-अलग मशीनों की मदद से दूसरी फैक्ट्री में किया जाता है मार्बल बन जाने के बाद इनको मार्केट में बेचने के लिए भेज दिया जाता है