सैनिक हथियार और साधु सामान के कुछ विशेषज्ञ फतेह–2 को फ्लैट ट्रांजैक्ट्री व्हीकल बताते हैं जिसका एक मतलब यह है कैसे रडार पर नहीं देखा जा सकता जिसकी वजह से इसे नष्ट करना ज्यादा मुश्किल है कुछ विशेषज्ञ फतेहपुर के सफल प्रयोग के बाद से भारत के मिसाइल डिफेंस सिस्टम के मुकाबले में एक प्रभावी हथियार बता रहे हैं।
ध्यान रहे कि भारत भी कुछ समय से अपने मिसाइल सिस्टम को काफी बेहतर बना रहा है साथ ही भारत एक अर्थ से इसराइल से आयरन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम लेने का इच्छुक रहा है ।रक्षा मामलों के विशेषज्ञ राहुल भोंसले के अनुसार भारत की राजधानी दिल्ली या व्यापारिक केंद्र मुंबई जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र की सुरक्षा के लिए ऐसी प्रणाली की जरूरत हो सकती है सैयद मोहम्मद अली का कहना है कि भारत के पास आधुनिकतम s400 मिसाइल सिस्टम भी मौजूद है लेकिन वह भी इससे पाकिस्तान मिसाइल से पूरी तरह सुरक्षा उपलब्ध नहीं कर सकता कुछ भारतीय रक्षा विशेषज्ञों की राय है कि फतेहपुर मिसाइल के सफल परीक्षण ने सैन्य मूर्छित पर पाकिस्तान को बढ़ाती है विशेष कर लक्ष्य को निशाना बनाने की दूरी के हिसाब से भारत की रक्षा मामलों पर रिपोर्टिंग करने वाले पोर्टल इंजन डिफेंस रिसर्च विंग का कहना है कि पाकिस्तान की नई मिसाइल उसे रेंज के
के हिसाब से भारत पर बढ़त दिलाता है।
भारतीय सेवा के पूर्व ब्रिगेडियर और टॉप खाने के विशेषज्ञ राहुल भोसले ने कहा की फतेह तू भारत के बिना का नाम के मल्टी बैरल रॉकेट लांचर से मिलने-जुलता है जो पाकिस्तान की तो खाने की क्षमता में वृद्धि करेगा वह कहते हैं कि दोनों देशों के लिए यह बात सामान्य है क्योंकि भारत समेत दुनिया भर की सभी सीन मल्टी बैरल रॉकेट लांचर सिस्टम बना रही है इससे पहले 18 अक्टूबर 2023 को पाकिस्तानी जमीन से जमीन पर मध्य दूर मार करने वाली आबादी मिसाइल का परीक्षण भी किया था जो दक्षिण एशिया में पहली मिसाइल है जो कई परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता रखती है ।
रक्षा मामलों की विशेषज्ञ ब्रिगेडियर रिटायर्ड सब मोहम्मद ने बात करते हैं और नई-नहीं बल्कि सन 1947 से जारी है सैयद मोहम्मद अली का भी कहना है कि दुनिया की सैन्य शक्तियों में जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल और उन्हें मार गिराने वाली शायरी तैयार करने का मुकाबला बहुत पुराना है या मुकाबला दक्षिण एशिया में दोहराया जा रहा है।
पाकिस्तान और भारत दोनों देश एक दूसरे की सैन्य शक्ति को लेकर संवेदनशील है और दोनों देशों ने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के जरिए स्थानीय टेक्नोलॉजी की क्षमता बढ़ाने में पूंजी निवेश किया है ताकि दुश्मन देश की ओर से हथियारों की तैयारी में प्रगति से पैदा होने वाली स्थिति का मुकाबला किया जा सके।